22 वें विधि आयोग (लॉ कमीशन) ने समान नागरिक संहिता पर आम जनता से विचार विमर्श की प्रक्रिया शुरू कर दी है
इससे पहले पिछले विधि आयोग ने 2016 में इस मुद्दे पर गहन विचार विमर्श प्रक्रिया शुरू की थी
21वें विधि आयोग ने 2018 मार्च में जनता के साथ विमर्श के बाद अपनी रिपोर्ट में कहा था
कि फिलहाल समान नागरिक संहिता यानी कॉमन सिविल कोड की जरूरत देश को नहीं है.
लेकिन पारिवारिक कानून यानी फैमिली लॉ में सुधार की बात जरूर की थी
22वें विधि आयोग को हाल ही में तीन साल का विस्तार मिला है
आयोग ने अपने बयान में कहा कि पिछले परामर्श को जारी होने की तारीख से तीन साल से अधिक समय बीत चुका है
इस विषय की प्रासंगिकता और महत्व को ध्यान में रखते हुए
Learn more
तमाम अदालती आदेशों को ध्यान में रखते हुए विधि आयोग ने इस मुद्दे पर नए सिरे से विचार-विमर्श करना उचित समझा
Learn more