वो महिलाएं जिन्होंने भारत के वैज्ञानिक इतिहास को आकार दिया

आनंदीबाई गोपालराव जोशी भारत की पहली महिला फिजीशयन थीं. साल 1886 में 19 साल की उम्र में आनंदीबाई ने एमडी की डिग्री हासिल कर ली। वह एमडी की डिग्री पाने वाली भारत की पहली महिला डॉक्टर बनीं।

जानकी अम्मल पहली भारतीय वैज्ञानिक / वनस्पतिशास्त्री थीं जिन्हें 1977 में प्लांट ब्रीडिंग, साइटोजेनेटिक्स और फाइटोजियोग्राफी पर उनके काम के लिए पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

कमला सोहोनी पहली भारतीय महिला वैज्ञानिक थीं जिन्होंने PHD की डिग्री हासिल की थी। कमला सोहोनी ने ये खोज की थी कि हर प्लांट टिशू में ' CYTOCHROME C' नाम का एन्जाइम पाया जाता है।

बिभा चौधरी कलकत्ता विश्वविद्यालय से भौतिक विज्ञान में एम. एस. सी. करने वाली पहली महिला थीं। उनके कई शोध पत्र देश-विदेश के प्रमुख जर्नल्स में प्रकाशित हुए।

असीमा चटर्जी केमेस्ट्री में अपने कार्यों के लिए काफी प्रसिद्ध रहीं। इन्होंने कोलकाता के स्कॉटिश चर्च कॉलेज से 1936 में केमेस्ट्री सब्जेक्ट में ग्रैजुएशन की थी। एंटी-एपिलिप्टिक (मिरगी के दौरे), और एंटी-मलेरिया ड्रग्स का डेवलपमेंट इन्होंने ही किया था।

कर्नाटक राज्य की पहली महिला इंजीनियर, राजेश्वरी को 1946 में विदेश में अध्ययन करने के लिए सरकारी छात्रवृत्ति मिली। इन्होंने माइक्रोवेव इंजीनियरिंग और एंटीना इंजीनियरिंग के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया था।

कल्पना चावला अंतरिक्ष में कदम रखने वाले भारतीय मूल के पहले अंतरिक्ष यात्री थीं। उन्होंने पहली बार 1997 में एक मिशन विशेषज्ञ और प्राथमिक रोबोटिक आर्म ऑपरेटर के रूप में स्पेस शटल कोलंबिया में उड़ान भरी थी।