दरअसल त्रेतायुग से जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार

माता सीता जी अपनी मांग सिंदूर से भरा करती थी

एक दिन जब माता सीता अपनी माँग में सिन्दूर भर रही थी तो उसी समय हनुमान जी भी वहां मौजूद थे।

माता को मांग में सिंदूर भरता देख उन्होंने पूछा, माता आप अपनी मांग में सिंदूर क्यों लगाती हैं।

हनुमान जी के इस सवाल का जवाब देते हुए माता सीता ने कहा कि अपने स्वामी श्रीराम जी की दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ्य की कामना के लिए

-माता सीता जी की यह बात सुनकर हनुमान जी ने सोचा कि यदि माता के चुटकी भर सिंदूर लगाने से प्रभु को इतना लाभ है तो पूरे शरीर पर सिंदूर लगाने से प्रभु श्रीराम अमर हो जाएंगे

इसके बाद हनुमान जी ने अपने पूरे शरीर पर केसरिया रंग के सिंदूर से लेप लगा लिया।

इसे आप हनुमान जी का सिंदूर के प्रति  प्रेम कह सकते हैं या फिर प्रभु श्री राम के प्रति प्रेम भी।

लेकिन इसी दिन के बाद से हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाने की प्रथा प्रचलित हो गई।

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