रूस ने 1960 के दशक में एक हाई-स्पीड ट्रेन का निर्माण शुरू किया था।

इसे 1970 में लॉन्च किया गया और इसका नाम "स्पीडी-वैगन लोबोरटरी" रखा गया।

यह ट्रेन 296 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकती थी।

आज की बुलेट ट्रेन की रफ्तार 320 किलोमीटर प्रति घंटे है।

रूस का दावा था कि अगर  ट्रैक को और अधिक सक्षम बनाया जाए तो यह ट्रेन 354 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पकड़ सकती थी।

इस ट्रेन को बनाने का उद्देश्य अमेरिका के साथ शीत युद्ध में वर्चस्व हासिल करना था।

ट्रेन में याक-40 हवाई जहाज में इस्तेमाल होने वाले 2 इंजन लगाए गए थे।

यह ट्रेन जापान की पहली बुलेट ट्रेन से भी तेज थी।

हालांकि, इसे बंद कर दिया गया क्योंकि गैसोलीन इंजन बहुत महंगे होते हैं।

आज इसका एक मात्र ज्ञात अवशेष पीटर्सबर्ग स्क्रैपयार्ड में जर्जर वैगन के रूप में पड़ा है।

विशेष रूप से ध्यान देने योग्य बिंदु

-यह ट्रेन रूस की सबसे तेज ट्रेन थी और आज की बुलेट ट्रेन से भी तेज थी।

विशेष रूप से ध्यान देने योग्य बिंदु

– इसका निर्माण शीत युद्ध के दौरान अमेरिका से वर्चस्व हासिल करने के लिए किया गया था।

– इसे बंद कर दिया गया क्योंकि गैसोलीन इंजन बहुत महंगे होते हैं।