– रेलवे की अतिरिक्त भूमि को स्वामित्व बरकरार रखते हुए वाणिज्यिक विकास के लिए पटटे
– केंद्रीय रेल, सूचना एवं प्रसारण और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने राज्यसभा में दिया जवाब
दिल्ली। भारतीय रेलवे के पास कुल भूमि लगभग 4.90 लाख हेक्टेयर है, जिसमें से 8812 हेक्टेयर भूमि विभिन्न उद्देश्यों के लिए पट्टे पर दी गई है। इसमें यात्री सुविधाओं, कार्गो संबंधी सुविधाओं, वाणिज्यिक विकास आदि के लिए लीज एवं लाइसेंस पर दी गई रेलवे भूमि शामिल है। यह जानकारी केंद्रीय रेल, सूचना एवं प्रसारण और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने राज्यसभा में दी है।
भूमि पर रेलवे का बुनियादी ढांचा, बिछी है पटरियां
भारतीय रेलवे के पास मौजूद भूमि का उपयोग स्थायी बुनियादी ढांचे जैसे कि पटरियां, स्टेशन, टर्मिनल, कार्यशालाएं, उत्पादन इकाइयां आदि उपलब्ध कराने के लिए किया जाता है। इसके अतिरिक्त रेलवे की भूमि को सरकारी विभागों, केन्द्रीय विद्यालयों, सार्वजनिक सेवा उपयोगिता प्रदाताओं, निजी क्षेत्रों को रेलवे से संबंधित गतिविधियों जैसे यात्री सुविधाएं, कार्गो संबंधी सुविधाएं आदि के लिए पट्टे एवं लाइसेंस पर दिया जाता है, जिसका स्वामित्व मौजूदा नीति के अनुसार रेलवे के पास रहता है।
रेलवे की खाली पड़ी अतिरिक्त भूमि, जिसकी निकट भविष्य में परिचालन के लिए आवश्यकता नहीं है, उसे वाणिज्यिक विकास के लिए भूमि को पट्टे पर देने के लिए रेल भूमि विकास प्राधिकरण को सौंप दिया गया है। व्यावसायिक रूप से विकसित रेलवे भूमि का स्वामित्व सदैव रेलवे के पास रहता है।