अमूर्त कला क्रांति आंदोलन पहुंचा दून

अमूर्त कला क्रांति आंदोलन पहुंचा दून
  • कला की पहचान सामाजिक बदलाव को इंगित

देहरादून। कलाकार, शिक्षाविद एवं दार्शनिक अश्विनी कुमार पृथ्वीवासी ने कहा है कि अमूर्त कला क्रांति के माध्यम से कला को एक नई पहचान देते हुए वैश्विक आह्वान और सामाजिक बदलाव के लिए इंगित किया है। ऐसे समय में जब कला का अधिकांश भाग व्यवसाय से जुड़ गया है। जयपुर के बाद दून में आंदोलन की श्रृंखला शुरू कर रहे हैं। अब यह आंदोलन दून पहुंच गया है।

अश्विनी कुमार पृथ्वीवासी यहां सुभाषनगर स्थित इमेजिनेशन एकेडमी ऑफ फाइन आर्ट केन्द्र में पत्रकारों से वार्ता कर रहे थे। उन्होंने कहा है कि इस अमूर्त कला क्रांति के माध्यम से एक सशक्त व नई दार्शनिक अवधारणा प्रस्तुत की है। अमूर्त कला क्रांति पारंपरिक और बाजार केंद्रित कला की धारणा को चुनौती देता है। सच्ची कला केवल सौंदर्य एवं आर्थिक मूल्य तक सीमित नहीं होनी चाहिए बल्कि निस्वार्थ भावना सेहोनी चाहिए ।

उन्होंने कहा कि वर्ष 2001 में उन्होंने पृथ्वीवासी नाम को कानूनी रूप से अपनाया। जिसका अर्थ है पृथ्वी का निवासी उनका यह कदम जाति धर्म और राष्ट्रीयता जैसे सामाजिक विभाजनों के विरुद्ध एक सशक्त प्रतीक बनना। उन्होंने कहा कि अपने बेटे का नाम भी अर्थीयनपृथ्वीवासी रखा है।

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