नई दिल्ली। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि ऐसे समय में भारत को अपने ज्ञान और विचारधारा पर आधारित नई दृष्टि दुनिया के सामने प्रस्तुत करनी होगी। उम्मीद की किरणों के साथ पूरी दुनिया भारत की तरफ देख रही है। उन्होंने देश की विभिन्न विविधताओं को स्वीकार करते हुए एकात्मकता के सूत्र में बांधने का आह्वान किया।
संघ प्रमुख अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के नए कार्यालय के उद्घाटन समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि दो हजार सालों से चल रहे प्रयोगों से थक चुकी दुनिया अब नई राह के लिए भारत की ओर उम्मीद की नजरों से देख रही है।
भारत के भाग्य के साथ-साथ दुनिया में परिवर्तन दिख रहा है। नई राह के लिए भारत ही दुनिया की आशा का केंद्र है। दुनिया भारत से नई राह दिखाने की उम्मीद कर रहा है। उन्होंने कहा कि हम सदियों से वसुधैव कुटुंबकम में विश्वास रखते हैं। विश्व कल्याण ही सनातन की मूल भावना है।
भारत ही वह देश है, जिसने भौतिकवाद से प्रभावित दुनिया के बीच आंतरिक सुख का विचार दिया। सनातनी विचारधारा में हम न सिर्फ दुनिया के उत्कृष्ट विचारों का स्वागत करते हैं, बल्कि प्रतिकूल विचारों को भी परिमार्जित कर अपने अनुकूल बनाने की शक्ति रखते हैं। अब सवाल यह है कि क्या भारत श्रेष्ठ चरित्र के साथ दुनिया के सामने अपने विचार का मॉडल रखेगा।
इस दौरान संघ प्रमुख ने देश की भाषा, खान-पान, धार्मिक और विचारधारा की विविधता को स्वीकारने की सीख देते हुए कहा कि दुनिया को दिखाना होगा कि तमाम विविधताओं के बावजूद भारत राष्ट्र के लिए न सिर्फ एक है, बल्कि विश्व कल्याण ही इसका लक्ष्य है। इसके लिए हमें सभी तरह की विविधताओं को स्वीकार करते हुए देश को एकात्मकता के सूत्र में बांधना होगा।
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