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यूपी में प्रधानमंत्री आवास योजना(PMAY) में बड़ा बदलाव: अब सिर्फ महिलाओं के नाम से ही मिलेंगे नए घर

यूपी में प्रधानमंत्री आवास योजना(PMAY) में बड़ा बदलाव: अब सिर्फ महिलाओं के नाम से ही मिलेंगे नए घर

उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) में एक बड़ा बदलाव हुआ है। अब, इस योजना के तहत नए घर बनाने की मंजूरी केवल महिलाओं के नाम पर दी जाएगी। यह कदम महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने और उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत करने के उद्देश्य से उठाया गया है।

प्रधानमंत्री आवास योजना(PMAY) में बदलाव की जानकारी:

  • महिला मुखिया का नाम: यूपी की सरकार ने निर्णय लिया है कि अब प्रधानमंत्री आवास योजना – ग्रामीण और मुख्यमंत्री आवास योजना – ग्रामीण के तहत नए घर केवल महिला मुखिया के नाम पर ही स्वीकृत किए जाएंगे।
  • पुरुष मुखिया के लिए नियम: अगर किसी परिवार का पुरुष मुखिया पहले से ही घर का मालिक है, तो उसमें महिला मुखिया का नाम जोड़ना अनिवार्य होगा। इसका मतलब है कि घर का स्वामित्व संयुक्त हो जाएगा।

क्यों लिया गया यह फैसला?

  • महिला सशक्तिकरण: यह नियम महिलाओं को घर का मालिकाना हक देकर उन्हें आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनाने का एक उपाय है। महिलाओं को अपने घर का स्वामित्व मिलने से उनका सामाजिक और आर्थिक दर्जा मजबूत होता है।
  • सामाजिक सुरक्षा: घर का मालिकाना हक महिलाओं को सामाजिक सुरक्षा भी प्रदान करता है, क्योंकि वे अपनी पहचान और संपत्ति को लेकर अधिक सुरक्षित महसूस करती हैं।

क्या होगा प्रधानमंत्री आवास योजना(PMAY) में बदलाव का असर?

  • वर्तमान आंकड़े: वर्तमान में, प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 40.14% घर महिला मुखिया के नाम पर और 51.74% घर पति-पत्नी के संयुक्त नाम से स्वीकृत हैं। इस बदलाव के बाद, ये प्रतिशत और बढ़ जाएंगे।
  • समाज पर असर: इस बदलाव से महिलाओं को घर का स्वामित्व मिलने से उनका सामाजिक दर्जा बढ़ेगा, जिससे समाज में लैंगिक समानता को बढ़ावा मिलेगा।

क्रियान्वयन:

  • सर्वे और चयन: ग्रामीण विकास विभाग ने इस नियम को लागू करने के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए हैं। सर्वे के दौरान, पात्रता की जांच करके महिला मुखिया के नाम पर घरों का आवंटन किया जाएगा।
  • अपवाद: हालांकि, कुछ अपरिहार्य स्थितियों में, जैसे कि विधवा या एकल महिलाओं के मामले में, इस नियम में छूट दी जा सकती है।

निष्कर्ष:
यह नियम बदलाव महिलाओं की स्थिति को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह न केवल महिलाओं को आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनाता है बल्कि उन्हें समाज में एक सम्मानजनक स्थान भी देता है। उत्तर प्रदेश में इस तरह के बदलाव से महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।

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