- बाबा औघड़नाथ और पुरामहादेव मंदिर पर लाखों कांवड़ियों ने चढ़ाया गंगाजल
- मंदिरों पर पुलिस रहा सख्त पहरा, चप्पे चप्पे पर रही नजर
मेरठ। शिवरात्रि पर सभी शिवालय बम बम भोले के उद्घोष से गूंज उठे। सुबह साढ़े चार बजे से सभी मंदिरों में भगवान भोलेनाथ को जलाभिषेक शुरू हो गया। मंदिरों पर शिवभक्तों की सुरक्षा के पूरे इंतजाम रहे। बुधवार को सुबह से ही हुई झमाझम बारिश को शिवभक्तों ने भगवान का प्रसाद बताया। सभी शिवभक्त भगवान आशुतोष को जला चढ़ाने से पहले बारिश मेंं जमकर झूमे। सभी शिवालयों पर प्रशासन ने कड़े इंतजाम किए हुए थे। मेरठ के छावनी स्थित बाबा औघड़नाथ मंदिर और बागपत जनपद में पुरा महादेव मंदिर को कैमरों में कैद किया गया। सीसीटीवी कैमरों की चप्पे चप्पे पर नजर रही। दोनों ही शिवालयों पर लगभग आठ लाख शिवभक्तों ने जलाभिषेक किया।

मेरठ के बाबा औघड़नाथ मंदिर और बागपत के पुरा महादेव मंदिर में बुधवार की सुबह चार बजे से ही जलाभिषेक के लिए मंदिर के बाहर लाइनें लगनी शुरू हो गई थी। बैरिकेटिंग के माध्यम से शिवभक्तों को मंदिर में प्रवेश दिया गया। मंदिरों के गर्भ गृह में कांवड़ियों की वेशभूषा में पुलिस कर्मियों को लगाया गया।

जलाभिषेक के दौरान पुलिस को व्यवस्था संभालने में काफी मशक्कत करनी पड़ी। दोनों ही शिवालयापश्चिम उप्र में सिद्ध पीठ केनाम से जाने जाते हैं। बताते हैं कि पुरा महादेव मंदिर में सबसे पहली कांवड़ भगवान परशुराम ने चढ़ाई थी। तभी से वहां लगातार कांवड़चढ़ाए जाने का सिलसिला जारी है।

बाबा औघड़नाथ मंदिर 1857 की क्रांति का भी इतिहास समेटे हुए है। भगवान भोलेनाथ की असीम कृपा से क्रांतिवीरों ने अपनी विजयी पताका फहरायी थी। औघड़नाथ मंदिर की बड़ी मान्यता है। प्रतिवर्ष शिवरात्रि और महाशिवरात्रि को यहां लाखों शिवभक्तकांवड़ियांजलाभिषेक करते हैं। मंदिर में मंगलवार सुबह से ही शिवभक्तों का मेला लगना शुरू हो गया था। बुधवार को जलाभिषेक करने वालों में कांवड़ियों की संख्या अधिक रही।

मेरठ शहर में ही बाबा बिल्लवेश्वरनाथ महादेव मंदिर, झारखंड़ी, महादेव मंदिर भी सिद्ध पीठ हैं। यहां पर भी बड़ी संख्या में शिवभक्तकांवड़ियांजलाभिषेक करते हैं।