– राम नवमी के दिन छह अप्रैल को राष्ट, को समर्पित करेंगे प्रधानमंत्री मोदी
– चार साल में तैयार हो गया समुंद्र के ऊपर रेलवे ब्रिज, नीचे से निकल सकेंगे बड़े से बड़े जहाज

दिल्ली। तमिलनाडु के विशाल नीले समंदर पर बनाया गया नया पांंबन ब्रिज रेलवे विस्तार और इंजीनियरिंग कौशल की सुंदर तस्वीर ही नहीं बल्कि रामेश्वरम द्वीप को तमिलनाडु के मंडपम से जोड़ने वाला ब्रिज है। भारत का यह पहला वर्टिकल लिफ्ट रेलवे सी ब्रिज है। जरूरत पड़ने पर नए पांबन ब्रिज को ऊपर उठाकर बड़े जहाजों को ब्रिज के नीचे से निकाला जा सकेगा। मन्नार की खाड़ी पर स्थित यह पुल यातायात को सुगम बनाने के साथ अपने आप में एक ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व भी रखता है। जिससे आने वाले समय में समुद्री मार्गों पर निर्भर पर्यटन और व्यापार को जबरदस्त बढ़ावा मिलेगा। राम नवमी के अवसर पर छह अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यह ब्रिज राष्ट्र को समर्पित करेंगे। 2019 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में इस नए ब्रिज के निर्माण की आधारशिला रखी गई । जो मात्र चार साल में समुद्र पर बनकर तैयार हो गया।

पांबन ब्रिज की विशेषताएं जानकर रह जाएंगे दंग
– 2.08 किलोमीटर का ये भव्य संरचना पुराने पांबन ब्रिज से 3 मीटर अधिक ऊंचा है, ताकि छोटे जहाज सुगमता के साथ इसके नीचे से होकर गुजर सकें। इस पूरे ब्रिज को बनाने में 18.3 मीटर के 99 स्पैन का प्रयोग किया गया है साथ ही ब्रिज के मध्य में 72.5 मीटर का एक वर्टिकल लिफ्ट स्पैन है, जिसे जरूरत पड़ने पर बड़े जहाजों के लिए 17 मीटर तक ऊपर उठाया जा सकता है। इस ब्रिज में 333 पाइल्स और 101 पाइल कैप्स का इस्तेमाल कर दोहरी रेल लाइनों के लिए डिज़ाइन किया गया है। जिसपर भारी-भरकम मालगाड़ियों के साथ वंदे भारत जैसी तेज गति से चलने वाली अत्याधुनिक सेमी हाई-स्पीड ट्रेनें भी बड़े ही आसानी से गुजर सकती है। साथ ही इसकी सतह को 58 वर्षों तक सुरक्षित रखने के लिए उत्कृष्ट सुरक्षा प्रणाली अपनाई गई है।
समुंद्री तूफान पर ब्रिज को नहीं पहुंचा सकेंगे नुकसान
– इस ब्रिज के निर्माण के दौरान समुद्री तूफानों, तेज़ हवाओं और ज्वार-भाटाओं जैसी परिस्थितियों का भी ध्यान में रखा गया है। पॉलिसिलोक्सेन पेंट, स्टेनलेस स्टील और फाइबर रिइंफोर्स्ड प्लास्टिक (FRP) के प्रयोग ने समुद्र के खारा पानी के बीच होते हुए भी इसे लंबे समय तक मजबूत और टिकाऊ बनाए रखेगा।
डिजाइन में तकनीकी का किया गया इस्तेमाल
– इस पुल का डिजाइन जहां इंटरनेशनल कंसल्टेंट टीवाईपीएसए द्वारा किया गया। वहीं आईआईटी चेन्नई और आईआईटी बॉम्बे द्वारा डिजाइन को सत्यापित किया। ब्रिज के केंद्र में 72.5 मीटर का वर्टिकल लिफ्ट स्पैन है, जिसे जहाजों के आकार के हिसाब से ऊपर-नीचे किया जा सकता है।
भगवान राम और शिव के साथ है ब्रिज का सीधा संबंध

– पांबन ब्रिज का भगवान राम और भगवान शिव के साथ सीधा संबंध है। ये ब्रिज जिस द्वीप रामेश्वरम को मुख्य भूमि से जोड़ता है, उसे हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है। यहां स्थित रामेश्वरम मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। ऐसा माना जाता है कि जब भगवान श्रीराम लंका पर चढ़ाई करने जा रहे थे, तब उन्होंने इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना की थी और भगवान शिव की पूजा की थी।पांबन ब्रिज से होकर गुजरने वाला मार्ग भगवान राम की लंका यात्रा का महत्वपूर्ण भाग माना जाता है, जिससे यह धार्मिक रूप से और भी विशेष हो जाता है। रामायण के अनुसार, भगवान राम और उनकी वानर सेना ने लंका जाने के लिए रामसेतु का निर्माण किया था, जो वर्तमान पांबन ब्रिज के पास स्थित है। यह ब्रिज पर्यटन, व्यापार और सांस्कृतिक संवाद को नया आयाम देगा, जिससे भारत की प्रगति और समृद्धि को और अधिक गति मिलेगी।
समृद्ध भारत की बुलंद तस्वीर है नया पांबन ब्रिज
– भारत का पहला समुद्री पुल पांबन ब्रिज का निर्माण 1911 में शुरू और 1914 में इसे यातायात के लिए खोल दिया गया था। तब यह भारत का एकमात्र समुद्री पुल था। जो सन् 2010 में बान्द्रा-वर्ली समुद्र सेतु के खुलने तक भारत का सबसे लम्बा समुद्री सेतु रहा। अपनी सेवा समय के दौरान इस ब्रिज ने कई विकट परिस्थितियां देखी और उनका डटकर सामना किया। 1964 में आए एक चक्रवाती तूफान ने इस पुल को बहुत नुकसान पहुंचाया था बावजूद इसके ये समुद्र की लहरों के बीच अडिग खड़ा रहा और लगभग 106 साल तक देशहित में समर्पित रहा। 21वीं सदी और बदलते भारत की परिवहन आवश्यकताओं ने पुराने पांबन ब्रिज के समक्ष कई तरह की नई चुनौतियाँ रख दी थीं। जिसे देखते हुए आधुनिक ट्रेनों और बड़े समुद्री जहाजों की आवश्यकताओं के अनुरूप एक नई संरचना की जरूरत महसूस की गई।