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भारत के लगभग 600 मिलियन से अधिक लोग जल संकट का कर रहे हैं सामना

नहीं जागे तो 2025 तक 50 प्रतिशत आबादी को झेलना पड़ेगा जल संकट

समाज विकास संस्थान मेरठ के कार्यक्रम “जल, जंगल, जमीन के संरक्षण पर हुई बात

अपर आयुक्त मेरठ अमित सिंह ने कहा कि नीति आयोग के समग्र जल प्रबंधन सूचकांक के अनुसार भारत के लगभग 600 मिलियन से अधिक लोग जल संकट का सामना कर रहे हैं। वर्ष 2025 तक दुनिया की लगभग 50प्रतिशत आबादी को जल संकट का सामना करना पड़ सकता है। अगामी वर्ष 2030 तक भारत में पानी की मांग उपलब्ध आपूर्ति की तुलना में दो गुनी हो जायेगी। जल, जंगल, जमीन की समस्या से सिर्फ पर्यावरण ही नहीं ब​ल्कि मानव अस्तित्व को भी खतरा हो सकता है।

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समाज विकास संस्थान की ओर से राष्ट्रीय सेमिनार रविवार को आईएमए हॉल में की गई। जिसमें वि​​भिन्न प्रांतों से आए वैज्ञानिकों ने अपने विचार रखे। “जल, जंगल, जमीन का संरक्षण कैसे किया जाए इस पर अपनी राय प्रस्तुत की।

अमित सिंह ने कहा कि यदि हम समय रहते नहीं जागे तो आने वाली पीढ़ियों के लिए धरती रहने योग्य नहीं रहेगी। अगर इसी तरह जल की बर्बादी होती रही तो समस्या होगी। उन्होंने कहा कि अगर चाहेंगे तो 1000 वर्ग फीट की छत से सालभर में लगभग 200 लीटर जल इक्टठा किया जा सकता है। अनियोजित शहरीकरण के लिए हर साल लाखों हेक्टेयर जंगल काटे जा रहे है। जिससे पर्यावरण का संतुलन बिगड़ रहा है। सामूहिक सहभागिता से जल, जंगल, जमीन का संरक्षण करके भविष्य सुरक्षित करना होगा। नहीं तो प्राकृतिक आपदायें, भूकम्प, ओलावृद्धि, आदि का प्रकोप बढ़ेगा।

शोभित विवि के कुलपति डॉ. विनोद कुमार त्यागी ने कहा कि प्रकृति के साथ खिलवाड़ करने का नतीजा है कि जलवायु परिवर्तन का खतरा विश्व में तेजी से बढ़ता जा रहा है। भारतीय आर्युविज्ञान संस्थान दिल्ली के पीडियाट्रिक सर्जन डॉ. प्रबुद्ध गोयल ने कहा कि कृषि में अत्यधिक रसायनों को प्रयोग करने के परिणाम स्वरूप स्वस्थ मृदा की कमी, मृदा का उपजाऊपन घटना व उर्वरता में कमी आना, जमीन का बंजर होना व कृषि में मित्र कीटो का समाप्त होना और उत्पादन विषाक्त होना आदि प्रमुख खतरे हैं।

समाज विकास संस्थान के निदेशक डॉ. केके तोमर कहा कि संस्थान पिछले 35 साल से पश्चिमी उप्र के 17 जिलों में जल संरक्षण, जैविक खेती, जलवायु परिर्वतन, किसानों की आय कैसे बढ़ाये, किसानो व निर्धन वर्ग को निशुल्क कानूनी परामर्श, काली व हिड़न नदी का शुद्धीकरण संरक्षण व वृक्षारोपण आदि विषयों पर कार्य कर रहा है। इस दौरान वि​भिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान के लिए 54 विभूतियों को सम्मानित किया गया।

इस अवसर पर मुख्य संयोजक इंजि पीके गर्ग,मै​डिकल कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ. एसके गर्ग, डॉ केके तोमर, डॉ. अलका गुप्ता, डॉ. प्रतीमा गुप्ता , मुख्य संयोजक इंजि पीके गर्ग,मै​डिकल कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ. एसके गर्ग, डॉ केके तोमर, डॉ. अलका गुप्ता, डॉ. प्रतीमा गुप्ता आदि मुख्य रहे।

उल्लेखनीय कार्य के लिए 54 विभूतियों को किया सम्मानित

– विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान के लिए डॉ. तष्टि शर्मा आसम यूनिर्वसिटी, डॉ. ज्योति गौड़, सुरेश ज्ञान, विहार विवि जयपुर, डा. तेज सिंह वैज्ञानिक ग्वालियर मध्यप्रदेश, डॉ. चन्द्रमौलीदाडियाल देवभूमि विवि देहरादून उत्तराखंड, वैज्ञानिक डा. एसके लूथरा डॉ. लेखा बिस्ट गलगोटिया विश्वविद्यालय नौएडा, प्रो. रैडप्पा राजा कुमार, डॉ. किरन शर्मा शारदा विवि नौएडा, डॉ. संगीता सिंह, डॉ. किरन शर्मा शारदा विवि नौएडा, डॉ. दीपक वर्मा, विधुर कुमार, अमृता सिवानकर, डॉ. पूजा मनकर आईसीएआर, पिंकी दास, शिवानी फोगाट व प्रगतिशील किसान सतेन्द्र सिंह व सुधीर, महेन्द्र सिंह, राजकुमार सिंह, राजीव त्यागी, मोहित सिंह, रामेश्वर त्यागी, कुलदीप तोमर आदि को विभिन्न प्रकार के अवार्ड शिक्षक शिरोमणी, यंग साइटिस्ट, लाइफटाइम अचीवमेन्ट अवार्ड, वीमैन इम्पावरमेन्ट, आर्यभट्ट साईटिस्ट, डॉ. सर्वपल्ली राधा कृष्णन शिक्षक, सरोजनी नायडू नाइटिंगल अवार्ड, बेस्ट सोसल सर्विस अवार्ड, डॉ. एपी जे अब्दुल कलाम अवार्ड, लाल बहादुर शास्त्री कृषि अवार्ड, यंग अचीवर्स अवार्ड लगभग 54 लोगो को प्रदान किये गये।

मेरठ, उत्तर प्रदेश के छोटे से गाँव पांची में जन्मे और पले-बढ़े रोहित सैनी पेशे से इंजीनियर हैं, लेकिन उनका असली जुनून लोगों तक जानकारी पहुँचाना है। वो मानते हैं कि सीखना तभी आसान और असरदार होता है जब जानकारी अपनी ही भाषा में मिले। इसी सोच के साथ उन्होंने यह खास प्लेटफॉर्म बनाया, जहाँ जटिल से जटिल विषयों को आसान और साफ़ भाषा में समझाया जाता है—वो भी हिंदी में, ताकि हर कोई बिना किसी रुकावट के सीख सके।

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