- जनता से वसूला जा रहा था अलग अलग शुल्क, निकायों की मनमानी पर लगायी रोक
- मेरठ समेत कई नगर निगमों ने 2020 में कई गुना बढ़ा दिया था नामांतरण शुल्क
- 500 रुपये से बढ़ाकर पांच हजार से 50 हजार की शुरू कर दी थी वसूली
मेरठ। उप्र में नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायतों में मनमाने तरीके से वसूले जा रहे नामांतरण शुल्क पर यूपी सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। यानी जनता को राहत देने के लिए नामांतरण शुल्क में एकरूपता ला दी है। इसके लिए सरकार ने शुल्क भी निर्धारित कर दी हैं। इससे पूरे प्रदेश की जनता को बड़ा फायदा पहुंचेगा। इसको लेकर सरकार ने अधिसूचना जारी कर दी है। जिसको सभी निकाय बोर्ड बैठक में पास करके रिपोर्ट शासन को भेजेंगे। साथ ही जनता से सरकार द्वारा निर्धारित शुल्क ही वसूलेंगे।
मेरठ नगर निगम ने 16 जून 2020 को बढ़ाया था नामांतरण शुल्क
हम मेरठ की बात करें तो नगर निगम में पूर्व महापौर सुनीता वर्मा की सरकार में 16 जून 2020 को बोर्ड बैठक में नामांतरण शुल्क बढ़ाने का प्रस्ताव आया। सभी सदस्यों ने नामांतरण शुल्क को 500 रुपये से बढ़ाकर 50 हजार रुपये कर दिया। सरकार से गजट नोटिफिकेशन कराए बगैर ही नगर निगम प्रशासन ने बढ़ा नामांतरण शुल्क वसूलना शुरू कर दिया। इससे नगर निगम की तिजोरी तो खूब भरी, लेकिन जनता की जेब पर मार पड़ी। निगम की बोर्ड बैठकों में विपक्ष ने कई बार विरोध किया, लेकिन निगम अधिकारियों ने महापौर और बोर्ड के सदस्यों की एक नहीं सुनी। जनता अधूरे नियमों के जाल में फंसकर लुटती रही।
अब जागे पूर्व पार्षद तो सरकार ने जनता को दी राहत
पूर्व पार्षद अजय गुप्ता वैसे तो नगर निगम की पिछली सुनीता वर्मा की सरकार के समय से ही बढ़े नामांतरण शुल्क का विरोध करते चले आ रहे थे, लेकिन किसी ने उनकी एक नहीं सुनी थी। अब उप्र की योगी सरकार ने उनके विरोध पर संज्ञान लिया तो नगर निगम के बोर्ड में पास हुए बढ़े नामांतरण शुल्क का निर्णय ही पलट गया। उप्र सरकार के प्रमुख सचिव अमृत अभिजात ने 9 मई 2025 को यूपी नगरीय निकाय निदेशालय के निदेशक को पत्र लिखकर एक समान नामांतरण शुल्क लागू करने के निर्देश जारी कर दिए। निर्धारित शुल्क की दरों की सूची भी भेज दी।
जानें – क्या है नामांतरण शुल्क
जब कोई व्यक्ति नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायत क्षेत्र में किसी संपत्ति के स्वामित्व के हस्तांतरण के बाद संपत्ति पर स्वामित्व यानी अपना नाम दर्ज कराना चाहता है तो उसकी एवज में निकाय ऐसे लोगों से संपत्ति की कीमत और क्षेत्रफल के आधार पर शुल्क वसूलती हैं। किसी संपत्ति में नामांतरण यानी अपना नाम दर्ज कराने के लिए व्यक्ति को खरीदी गई भूमि की पंजीकृत विक्रय पत्र यानी रजिस्ट्री देनी होगी। अगर व्यक्ति को किसी ने वसीयत के आधार पर संपत्ति दी है कि तो उसकी पंजीकरण वसीयत या फिर अगर पिता की संपत्ति को भाईयों में विभाजित किया गया है तो उस संपत्ति पर अपना नाम दर्ज कराने के लिए पंजीकृत विभाजन पत्र देना होता है। अगर किसी से वह संपत्ति दान में मिली है तो दान पत्र के अभिलेख, माता-पिता से विधिकउत्तराधिकारी के रूप में मिली संपत्ति है तो ऐसी संपत्तियों में किया गया नाम परिवर्तन नामांतरण कहलाता है।
पूर्व में नामांतरण शुल्क की वसूली एक नजर में
2020 से पहले मेरठ नगर निगम में जनता से नामांतरण शुल्क के नाम पर केवल 500 रुपये ही लिए जाते थे। जो जनता के लिए बड़ी राहत थी। बढ़ते शहर में प्रत्येक माह सैंकड़ों की संख्या में संपत्तियों पर नामांतरण के लिए आवेदन होते हैं।
2021 से इन दरों से शुरू कर दी गई नामांतरण शुल्क वसूली
संपत्ति की कीमत ——— नामांतरण शुल्क
- 1 से 10 लाख रुपये ———- 5000 रु.
- 10 से 20 लाख रुपये———10000 रु.
- 20 से 50 लाख रुपये ——– 25000 रु.
- 50 लाख या इससे ऊपर — 50000 रु.
अब नामांतरण की नई ये दरें होंगी लागू
संपत्ति की कीमत ——— नामांतरण शुल्क
- 0 से 05 लाख रुपये ———- 1000 रु.
- 5 से 10 लाख रुपये——— 2000 रु.
- 10 से 15 लाख रुपये ——– 3000 रु.
- 15 से 50 लाख रुपये —— 5000 रु.
- 50 लाख या इससे ऊपर — 10000 रु.
ये हे शासन का आदेश, बोर्ड बैठक में अनुमोदन कर शासन जाएगी रिपोर्ट
– अब 28 मई को नगरीय निकाय निदेशालय के निदेशक अनुज कुमार झा ने यूपी की सभी नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायतों को नगर निगम , निर्धारण सूची में संशोधन और परिवर्तन , मानक उप विधि 2025 एवं नगर पालिका परिषद एवं नगर पंचायत निर्धारण सूची में संशोधन और परिवर्तन मानक उपविधि 2025 को लागू करने के आदेश जार दिए। साथ ही उप विधियों को बोर्ड के अनुमोदन के बाद शासन को अवगत कराने के निर्देश दिए हैं।
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