- नाटिका के माध्यम से माता-पिता और बेटी के कर्तव्य को बाखूबी समझाया
मेरठ। माता-पिता और बेटी व बेटों के कैसे संस्कार और विचार हों। प्यार कैसा हो। पिता की बेटी के प्रति क्या जिम्मेदारी हैं और बेटी को पिता के मूल्यों को कब कहां कैसे समझना होगा। बदले जमाने में किस प्रकार से बेटियां अपने माता पिता की बगैर मर्जी के वैवाहिक बंधन में बंधती हैं। ऐसी बेटियों को अपने उठाए हुए कदम पर कब-कब और कितना पश्चाताप करना पड़ता है। फिर भी वही माता-पिता उसको गले लगाते हैं। इस संस्कृति को अपनी नाटिका के माध्यम से जूही बब्बर सोनी ने मंचन किया। लगभग डेढ़ घंटे की नाटिका मंचन के एक एक दृश्य को देखकर मेरठवासी धन्य हो गए।

अभिनेत्री जूही बब्बर सोनी सुंदर अभिनव में अपने पिता राजबब्बर से भी एक कदम आगे दिखाई दी। सभी ने खूब सराहा। सोमवार को जूही बब्बर मेरठ के चौ. चरण सिंह विवि के अटल प्रेक्षागृह में स्वयं लिखित नाटिका का कुछ तरह मंचन किया कि उनका अभिनय देखकर कई बार दर्शक भावुक हो गए। जूही बब्बर नाटिका में 20 वर्ष की सैयारा की भूमिका में थी। उन्होंने दिखाया कि बेटियां अपने माता-पिता के आंख का तारा होती हैं।
माता पिता को बेटियों से बहुत उम्मीदें होती हैं, लेकिन वह गलत संगत के चलते भटक जाती हैं। कई बार अपने माता पिता के अरमानों पर पानी फेरकर अपनी मर्जी से जीवन साथी चुन लेती हैं। उन्हें नहीं पता होता कि कुछ समय बाद वह व्यक्ति जिसके कारण उसने अपने माता पिता के अरमानों पर पानी फेरकर चुना है, वह उसको धोखा देने वाला है। एक दिन वह लुटी पिटी रह जाती है। उसको उसका शोहर तलाक दे देता है।
इसके बाद जो ठोकरों का दौर चला उसको देखकर सभी दर्शक सहम गए। इस बुरे समय पर उसके माता-पिता ही उसका साथ देते हैं। नाटक में जूही ने माता-पिता के प्यार को रो-रो कर सभी तक पहुंचाने का प्रयास किया। जूही ने कहा कि प्यार बुरी बात नहीं है, लेकिन प्यार के लिए विचार और संस्कार की जरूरत होती है। जूही बब्बर की इस नाटिका को मेरठ के सभी दर्शकों ने खूब सराहा। तालियों की गड़गड़ाहट से उत्साह बढ़ाया। कुछ दर्शक तो उनके पिता से दोस्ताना रिश्ते बताने लगे।
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