दहेज प्रथा क्या है? अर्थ, इतिहास और कानून | Dowry System Meaning in Hindi

Dowry System

दहेज प्रथा क्या है? (Meaning of Dowry in Hindi)

परिभाषा उदाहरण: “दहेज (Dowry) का हिंदी में अर्थ है वह संपत्ति, विवाह के समय वधू के परिवार द्वारा वर पक्ष को दी जाने वाली नकदी या उपहार। इसे उर्दू में ‘जहेज़’ भी कहा जाता है।”

दहेज प्रथा जिसको अंग्रेजी में (Dowry System) कहा जाता है वह, भारत में एक बड़ी समस्या है जो महिलाओं के अधिकारों को उनसे छीनती है। इस प्रथा का इतिहास बहुत पुराना है और यह भारत के अलावा दुनिया के अन्य क्षेत्रों में भी पाया जाता है। दहेज को विवाह के समय दुल्हन के परिवार द्वारा दुल्हे के परिवार को नकदी, संपत्ति या अन्य वस्तुओं का दान किया जाता है। इस प्रथा के चलते महिलाओं को उनके अधिकारों से वंचित कर दिया जाता है।

दहेज प्रथा का इतिहास (History)

दहेज प्रथा (Dowry System) का इतिहास बहुत पुराना है और इसे भारत के अलावा दुनिया के अन्य क्षेत्रों में भी पाया जाता है। इस प्रथा का इतिहास मध्यकाल से शुरू होता है जब विवाह के समय दुल्हन के परिवार द्वारा दुल्हे को उपहार दिए जाते थे।

इस उपहार को स्त्री धन के नाम से पहचान मिलने लगी। इसका स्वरूप भी वहतु के ही समान था। पिता अपनी इच्छा और काबिलियत के अनुरूप धन या तोहफे देकर बेटी को विदा करता था।इसके पीछे सोच यह थी कि जो उपहार वो अपनी बेटी को दे रहा है वह उसके भविष्य के लिए एक सुरक्षा होगी।

दहेज प्रथा के खिलाफ कानून (Dowry Laws in India)

दहेज प्रथा (Dowry System) एक सामाजिक बुराई है जो भारत में विवाह के समय वधू के परिवार द्वारा वर को दी जाने वाली सम्पत्ति या वस्तुओं को दर्शाती है। दहेज को उर्दू में जहेज़ कहा जाता है। यह एक अनैतिक और अवैध प्रथा है जो महिलाओं को उत्पीड़ित करती है। दहेज प्रथा के कारण भारत में हर घंटे में एक महिला दहेज संबंधी कारणों से मौत का शिकार होती है।दहेज प्रथा के खिलाफ कानून भी हैं।

दहेज निषेध अधिनियम, 1961 के अनुसार दहेज लेने, देने या इसके लेन-देन में सहयोग करने पर 5 वर्ष की कैद और 15,000 रुपए के जुर्माने का प्रावधान है। भारतीय दंड संहिता की धारा 498-ए जो कि पति और उसके रिश्तेदारों द्वारा सम्पत्ति अथवा कीमती वस्तुओं के लिए अवैधानिक मांग के मामले से संबंधित है, के अन्तर्गत 3 साल की कैद और जुर्माना हो सकता है।दहेज प्रथा के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए समाज को जागरूक होना चाहिए। समाज को दहेज प्रथा की बुराईयों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए ताकि दहेज की मांग करने वालों की प्रतिष्ठा कम हो।

इन कानूनों के अलावा, सरकार ने बच्चियों की शिक्षा, महिला सशक्तिकरण, और विवाहिता के लिए आर्थिक सहायता जैसी योजनाएं भी शुरू की हैं। इनके माध्यम से स्त्रियों को स्वावलंबी बनाने और उनकी स्वतंत्रता बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है।

दहेज प्रथा एक सामाजिक अभिशाप है जो विवाह के समय विवाहिता के परिवार द्वारा विवाहिता के पति और पति के परिवार को दान रूप में दिया जाने वाला सामग्री, धन या संपत्ति है। यह प्रथा भारतीय समाज में सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक मान्यताओं के अनुसार प्रचलित है, और अक्सर स्त्री उत्पीड़न, परिवारों के द्वंद्व, दंगों और अत्याचार की वजह बनती है।

समाधान: हम इसे कैसे रोक सकते हैं?

आज के आधुनिक समय में भी दहेज प्रथा नाम की बुराई हर जगह फैली हुई है। इस प्रथा के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले लोगों की संख्या बढ़ रही है और उन्होंने इस प्रथा के खिलाफ जागरूकता फैलाने के लिए कई अभियान चलाए हैं। इस प्रथा को खत्म करने के लिए समाज के सभी वर्गों को एकजुट होकर काम करना होगा।

दहेज प्रथा को समाज में समाप्त करने के लिए, हमें सामाजिक सोच और मान्यताओं में परिवर्तन करना आवश्यक है। सभी व्यक्तियों को समान अधिकारों और मौकों की प्राथमिकता देनी चाहिए, और स्त्री उत्पीड़न, अत्याचार और विवाह से संबंधित अन्य सामाजिक समस्याओं के खिलाफ लड़ाई में अभियान करना चाहिए।

दहेज प्रथा का इतिहास और इसका बदलता स्वरूप (Evolution of Dowry)

दहेज प्रथा (Dowry System) का इतिहास बहुत पुराना है और इसे हजारों वर्षों से भारतीय समाज में प्रचलित माना जाता रहा है। इसका मूल उद्भव और विकास सम्बन्धित सामाजिक, आर्थिक, और सांस्कृतिक प्रक्रियाओं से जुड़ा हुआ है।

प्राचीन काल में पिता की संपत्ति उसके पुत्रों की ही होती थी और बेटियों को उसका अधिकार नहीं होता था। इस कारण से पिता, अपनी पुत्री के विवाह के अवसर पर उसे धन के रूप में कुछ भाग देता था। इसे पुण्य का कार्य माना जाता था। परंतु समय के साथ, समाज में कई परिवर्तन हुए और दहेज प्रथा बदलकर समाज के लिए एक अभिशाप बन गई।

यह सच है कि वर्तमान में दहेज प्रथा कन्याओं के लिए कई अपराधों का कारण बन गई है। आजकल, लोग दहेज प्रथा (Dowry System) को सिर्फ धन अर्जित करने का एक साधन मानते हैं और इसका पुण्य कार्य का कोई महत्व नहीं होता है। दहेज प्रथा से बेटियों को उचित शिक्षा और सुख-सुविधाएं वंचित रखना भी एक कारण है। बेटियों के परिवार वाले इस सोच के कारण, कि यदि उन्हें सभी सुविधाएं प्रदान की जाएँगी तो उनके विवाह में दहेज के रूप में कुछ नहीं बचेगा, दहेज प्रथा का पालन करते हैं। दहेज प्रथा ने अनेक सामाजिक बुराइयों को जन्म दिया है

लड़कियों को शिक्षा व घर में उचित सुख-सुविधाओं से वंचित रखना दहेज प्रथा का कारण है, क्योंकि उनके परिवार वालों का यह मानना होता है कि यदि ये सभी सुविधाएँ लड़की को दी जाएँगी तो उनके विवाह में दहेज देने के लिए कुछ नहीं बचेगा। दहेज प्रथा ने बाल-विवाह, अनमेल विवाह, वृद्ध-विवाह, अनाचार एवं वेश्यावृत्ति जैसी सामाजिक बुराइयों को जन्म दिया है।

इसलिए कुछ लोग इस कुरीति पर कहते हैं-


दहेज मांगने वालों को भीख दें. बेटी नहीं।


दहेज प्रथा के पीछे के कारण (Reason of Dowry System in hindi)

दहेज प्रथा के कारण (Reason of Dowry system in hindi) कन्या का विवाह अपने ही जाति, वर्ण अथवा उपजाति में करना उसके विवाह करने के दायरे को सीमित कर देता है अतः कन्या की शादी के लिए योग्य वर के लिए दहेज प्रथा को अनिवार्य माना जाता है और इस प्रथा के लिए मजबूरन माता-पिता को बहुत ढेर सारा धन जुटाना पड़ता है।

इसके अलावा बाल विवाह भी दहेज प्रथा का एक कारण है क्योंकि माता-पिता वर-वधू का चुनाव स्वयं करते हैं जिससे वे लाभ कमाने के लिए दहेज की मांग करके मनमानी रकम निर्धारित करते हैं। हिन्दुओं में कन्याओं का विवाह अनिवार्य समझा जाता है और इस स्थिति का फायदा उठाकर वर पक्ष द्वारा अधिक से अधिक दहेज की मांग की जाती है जिसका बोझ कन्या पक्ष के परिवार पर जीवनभर रहता है इसके अलावा कुलीन विवाह में ऊँचे कुल के लड़कों से विवाह करने के लिए भी कन्या पक्ष को अधिक दहेज देना अनिवार्य होता है, अतः विवाह की अनिवार्यता भी दहेज प्रथा का कारण है।

कारणविवरण
सामाजिक प्रतिष्ठालोग दिखावे के लिए ज्यादा दहेज देते और लेते हैं ताकि समाज में उनका नाम हो।
योग्य वर की कमीसरकारी नौकरी या अच्छी आय वाले लड़कों की “बोली” लगाई जाती है।
अशिक्षा और कुरीतियांसमाज में अभी भी महिलाओं को बोझ समझने की मानसिकता मौजूद है।
जाति प्रथाअपनी ही जाति में विवाह करने की मजबूरी विकल्प कम कर देती है, जिससे वर पक्ष मनमानी मांग करता है।

शिक्षा और सामाजिक प्रतिष्ठा भी दहेज प्रथा का कारण हे क्योंकि शिक्षा और सामाजिक प्रतिष्ठा के कारण लोग अपनी पुत्री का विवाह एक अच्छे लड़के के साथ ही कराना चाहते हैं तथा इन लड़कों का समाज में अभाव होने से सक्षम लड़कों द्वारा अधिक दहेज लिया जाता है। महंगाई भी दहेज प्रथा का प्रमुख कारण है, वर्तमान में व्यक्ति को हर प्रकार की जरूरतों को पूरा करने के लिए बहुत अधिक मात्रा में धन की आवश्यकता होती है और वे विवाह को धन प्राप्त करने का एक अच्छा अवसर मानते हैं और कन्या पक्ष से अधिक धन की मांग करके अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करने में सफल हो जाते है।

कुछ लोगों का मानना होता है कि बेटी को अधिक दहेज देकर उन्हें समाज द्वारा सम्मान प्राप्त होगा जिसकी वजह से वे अपनी बेटियों को अधिक दहेज देकर अपनी झूठी प्रतिष्ठा का प्रदर्शन करते हैं। इसके अलावा वे लोग जिन्होंने अपनी बेटी की शादी में अधिक दहेज दिया है वे लोग लड़के की शादी के माध्यम से उस धन को दोबारा प्राप्त करने का प्रयास करते हैं और इन्हीं कारणों से दहेज प्रथा को हमारे समाज में बढ़ावा मिलता है।

दहेज प्रथा (Dowry System) समाज में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति एवं उनके परिवार के लिए एक बहुत बड़ी समस्या है, यदि संपूर्ण समाज एकता के साथ तथा एकजुट होकर दहेज प्रथा को समाप्त करने का प्रयास करेगा तो अवश्य ही इस सामाजिक बुराई को जड़ से मिटाया जा सकता है।


आओ हम सब मिलकर जागरूकता लाएं,

दहेज रूपी राक्षस को जड़ से मिटाएं।


FAQ

Q-दहेज प्रथा की शुरुआत किस युग में हुई थी

Ans: दहेज प्रथा की शुरुआत उत्तर वैदिक काल से हुई थी।

Q-दहेज प्रथा क्या है?

Ans: दहेज प्रथा एक सामाजिक अभिशाप है जिसमें विवाह के समय दुल्हन के परिवार द्वारा दुल्हन के पति और ससुराल वालों को धन, सामग्री, वस्त्र आदि के रूप में दिया जाता है।

Q-दहेज प्रथा किस कारण से उत्पन्न होती है?

Ans: दहेज प्रथा के कई कारण हो सकते हैं। कुछ मुख्य कारणों में शामिल हैं: सामाजिक प्रतिष्ठा, वंश-वित्त, उच्चतम वर तलाश, परंपरागत धार्मिक मान्यताएं और वैवाहिक व्यवस्था की सीमाओं का पालन।

Q- दहेज प्रथा के कारण समाज को क्या नुकसान होता है?

Ans: दहेज प्रथा समाज के लिए कई नकारात्मक प्रभाव दलारी है, जैसे कि मानसिक तनाव, धन की समस्याएं, स्त्री हिंसा और घटिया व्यवहार। यह महिलाओं को बदले के रूप में लिया जाने का प्रतीक है और इनसे उन्हें न्यायालय में लड़ाई लड़नी पड़ती है।

Q- माता-पिता दहेज क्यों देते हैं?

Ans- दहेज प्रथा के पीछे का विचार यह सुनिश्चित करना था कि शादी के बाद दुल्हन आर्थिक रूप से स्थिर रहे । इरादे बहुत साफ थे। दुल्हन के माता-पिता यह सुनिश्चित करने के लिए कि उनकी बेटी शादी के बाद खुश और स्वतंत्र हो, “उपहार” के रूप में दुल्हन को पैसा, जमीन, संपत्ति देते थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *