दहेज प्रथा पर निबंध – Dowry System Essay in Hindi

दहेज प्रथा पर निबंध

दहेज प्रथा एक सामाजिक कुरीति है जो कई दशकों से हमारे समाज में मौजूद है। इस प्रथा में विवाह के समय दुल्हन के परिवार द्वारा दुल्हन को उसके ससुराल में दहेज के रूप में धन, सामग्री या संपत्ति का उपहार दिया जाता है। हालांकि, इस प्रथा ने विवाह संबंधित समस्याओं को बढ़ावा दिया है और लड़कियों और उनके परिवारों को मानसिक, आर्थिक और सामाजिक दबाव में डाला है। इसलिए, दहेज प्रथा के बारे में बात करना महत्वपूर्ण है।

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दहेज प्रथा की मुख्य वजहों में से एक वजह है कि वर पक्ष द्वारा कन्या के परिवार से अधिक धन की मांग की जाती है। विवाह समय पर उचित वर के लिए दहेज प्राप्त करना एक सोच का परिणाम है, जो उन्हें अपनी सामाजिक स्थिति का प्रमाण बनाने में मदद करता है। यह प्रतिरोध द्वारा प्रेरित किया जाता है कि कुछ परिवारों को उनकी पुत्री के विवाह के लिए एक उच्च वर्ग के परिवार से विवाह करने का अवसर मिलेगा।इस प्रकार , वर्तमान में दहेज प्रथा बढ़ती ही जा रही है।

एक और महत्वपूर्ण कारण दहेज प्रथा के पीछे हैं महंगाई का प्रभाव। आधुनिक युग में, संबद्धता और लाभ के लिए व्यक्ति को अधिक धन की आवश्यकता होती है। विवाह को एक ऐसा मौका मानकर देखा जाता है, जिसमें अधिक धन की मांग करके अपनी आर्थिक जरूरतों को पूरा करने का एक अच्छा अवसर मिलता है। इस बात को माता-पिता और दुल्हन के परिवार द्वारा समझा जाता है और इसलिए उन्हें अधिक दहेज का दावा करने में सफलता मिलती है।

दहेज प्रथा के दुष्प्रभाव समाज पर गहरा पड़ते हैं। इसके फलस्वरूप, लड़कियों की जीवन में स्वावलंबन, आत्मविश्वास और स्वतंत्रता की कमी होती है। वे अपनी मर्यादा खोने के डर के कारण जीवन को अपनी परिवार की मर्जी के अनुसार जीने के लिए मजबूर हो जाती हैं। इसके साथ ही, दहेज प्रथा में लिप्त होने से उन्हें शोषण, उत्पीड़न और मानसिक पीड़ा का सामना करना पड़ता है।

दहेज प्रथा के कारण, कई लड़कियां निराश हो जाती हैं, अधिकारों से वंचित रहती हैं और अपने सपनों और प्रतिभाओं को पूरा करने की संभावना से वंचित रहती हैं।दहेज प्रथा को समाज की एक अभिशाप के रूप में माना जाना चाहिए और हमें इसके खिलाफ लड़ना चाहिए। समाज को इस विकृति से मुक्त करने के लिए, हमें शिक्षा, सचेतता और संयम के माध्यम से समाज को जागरूक करना चाहिए। लड़कियों की शिक्षा और सामाजिक स्थिति को सुधारने के लिए सामाजिक एवं कानूनी उपाय अवश्य अपनाने चाहिए।

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