हस्तिनापुर: पौराणिक ऐतिहासिक महाभारत कालीन नगरी हस्तिनापुर कुरुवंश से ही अपना विशेष महत्व है परंतु साथ ही जैन तीर्थ क्षेत्र के रूप मे पूरे विश्व मे अपनी अमिट पहचान बना चुकी है।
यहां स्थित सुंदर व आकर्षक जैन मंदिरो की बडी श्रंखला स्वत: ही पर्यटको को अपनी आकर्षित करती है और प्रतिदिन यहां इन मंदिरो की अनूठी कला कृतियों को देखने के लिये हजारों लोग पहुंचते है। वहीं चंद दूरी पर ही बह रही गंगा मैया व हरा भरा पर्यावरण बाहर से आने वाले पर्यटकों को लुभाता है।
तीन धर्मो की जुड़ी आस्था (हस्तिनापुर)
हिंदू धर्म, जैन धर्म एवं सिक्ख धर्म के समागम की स्थली हस्तिनापुर को विश्व में जाना जाता है। जहां एक ओर महाभारत कालीन मंदिरों की विशेषता है वहीं जैन धर्म के मंदिरों की लंबी श्रृंखला होने के साथ साथ पंज प्यारे भाई धर्म सिंह की जन्म स्थली होने का गौरव भी इस धरती को प्राप्त है।
जैन धर्म के कुल 24 तीर्थंकरों मे से 16वें, 17वें व 18वें तीर्थंकर शांतिनाथ, कुंथुनाथ व अरहनाथ का जन्म इसी पावन धरती पर हुआ था। उनके चार चार कल्याणक भी इसी धरती पर होने से क्षेत्र महत्ता और बढ़ जाती है।
जैन समाज द्वारा श्री दिगंबर जैन बड़ा मंदिर, कैलाश पर्वत, श्वेतांबर मंदिर, अष्टापद मंदिर, जंबूद्वीप स्थल व निशियां जी मंदिरों का भव्य तरीके से निर्माण कराया है। जिनके दर्शन से आत्मिक सुख की अनूभूति होती है।
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