गुड़ खाओ-भोजन पचाओ, गन्ने के रस से पकनी शुरू हो गई गुड़ की चासनी 

गुड़ खाओ-भोजन पचाओ, गन्ने के रस से पकनी शुरू हो गई गुड़ की चासनी 

  • देहात में गन्ना कोल्हू है पश्चिम उप्र के गन्ना किसानों का लघु उद्योग  
  • इंजन और बिजली से चलता है गन्ने का कोल्हू, नवरात्र के दूसरे दिन से ही बाजार में बढ़ जाती है नए गुड़ की आवक 
  • अभी गन्ने के रस से नया गुड़ बनाने के लिए इस्तेमाल किया  जा रहा है पुराना गुड़ और चीनी
  • मिठाईयों को मात दे रहा है देहात के में किसानों के कोल्हू पर बनने वाला गुड़  
  • गुड़ की  बर्फी, लड्डू, पंजीरी , पेड़ा समेत कई प्रकार के तैयार किए जा रहे हैं प्रोडेक्ट 

मेरठ। गुड़ खाओ- भोजन पचाओ। यह कहावत नहीं बल्कि सच्चाई है। अब तो जनता ने गुड़ के लिए चीनी को अलविदा कहना शुरू कर दिया है। गुड़ खाने से होने वाले लाभ किसी से छिपा नहीं है। अब तो चिकित्सकों ने भी लोगों को गुड़ खाने की सलाह देनी शुरू कर दी है।

क्रेशर में गन्ने की पेराई करते कर्मचारी

नये गुड़ की मांग बाजार में बढ़ रही है। देहात में किसानों के क्रेसर यानी कोल्हूओं पर गुड़ की चासनी पकनी शुरू हो गई हैं। पश्चिम के गुड़ से उप्र ही नहीं बल्कि दिल्ली, गुजरात, महाराष्ट्र, आध्र प्रदेश, कर्नाटक और विदेश में रहने वाले लोग भी मुंह मीठा कर रहे हैं। 

देहात में किसानों का यह कुटीर  एवं लघु उद्योग ने किसान , मजदूर  के चेहरे  खिला दिए हैं। पश्चिम उप्र में किसानों का यह सबसे बड़ा उद्योग धंधा है। जिससे किसान अपने खेतों  में उग रहे  गन्ने से गुडृ बनाकर बाजार में बेचता है। गुड़ बनाने की विधि में भी प‌रिवर्तन आया है। 

गुड़ से बनाए जाते हैं मेवा मिश्रित पेड़ी, बर्फी,लड्डू व विभिन्न प्रोडेक्ट 

बदलते जमाने के साथ गुड़ भी कई रूप में बदल रहा है। एक समय था जब पांच किलो और ढाई किलो गुड़ का वजन तैयार होता था। 15 किलो वजन गुड़ को एक लोहे की बाल्टी में भरकर तैयार किया जाता था। जिसको बाल्टी के नाम से ही जाना जाता था, लेकिन अब 100 से 200 ग्रामी की पेड़ी, बर्फी, लड्डू, पंजीरी आदि  प्रोडेक्ट भी तैयार किए जाते हैं। वह भी मेवा मिश्रित के साथ। जिसको अब  शहरों के बड़े घरानों ने विशेष त्यौहार और विशेष अवसरों पर इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। 

250 रुपये कुंतल गन्ना और 1651 रु. कुंतल है गुड़ का भाव 

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गन्ने का सरकारी समर्थन मूल्य भले ही लगभग 315 रुपये प्रति कुंतल हो, लेकिन प्रारंभ में गन्ना क्रेशर मालिकों ने 250 रुपये प्रति कुंतल गन्ने की खरीद  शुरू की है। अगर हम क्रेशर संचालक लीलू प्रजापति की माने तो अभी गन्ने में निकल रहे रस से गुड़ बनना मुश्किल है। उम्मीद के मुताबिक माल तैयार नहीं हो रहा है। लागत भी बढ़ी है। इसलिए गन्ने का रेट यह रखा गया है।

लागत के अनुरूप नहीं निकला है गन्ने का रेट 
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गन्ने को गाड़ी से उतरते क्रेन।

मेरठ के किसान संजय कुमार का कहना है कि जिस प्रकार से गन्ने की फसल पर लागत आ रही है। उसके हिसाब से 250 रुपये रेट कम है। किसान की मजबूरी है कि छोटे किसानों को अपने खेत खाली करके गेहूं, आलू आदि की फसल भी बोनी होती है। इनका यह भी कहना है कि क्रेशर संचालकों से छोटे किसानों को काफी राहत भी मिलती है। 

सुकलाई, हाईड्रो और अरंड  के तेल से स्वच्छ और सुंदर गुड़ होता है तैयार 

गुड़ तैयार करने में किसान प्राथमिकता पर खेतों में उगने वाली सुकलाई का इस्तेमाल करते हैं। जरूरत पड़ने पर हाईड्रो और अरंड का तेल भी इस्तेमाल किया जाता है। बता दें कि रस निकालने के लिए गन्ने को बिजली  या इंजन चालित कोल्हू एवं क्रेशर में डाला जाता है।

इसके बाद गन्ने के रस को बड़ी बड़ी कढाईयों में पकाया जाता है। रस कढाव में खोलता है तो वह गंदगी छोड़ना शुरू कर देता है। इस गंदगी को बाहर करने और गुड़ की सुंदरता बढ़ाने के लिए ही सुकवाई, अरंड का तेल और हाईड्रो का इस्तेमाल किया जाता है। कढ़ाव में रस पहुंचने के बाद एक घंटे में गुड़ तैयार हो जाता है।

पश्चिम के सभी जनपदों में खूब  पकती है गुड़ की चासनी 

पश्चिम उप्र में खासकर मेरठ, मुजफ्फरनगर, बागपत, शामली, सहारनपुर, बिजनौर, मुरादाबाद, चांदपुर, बुलंदशहर, हापुड़, अलीगढ़ समेत काफी बड़े इलाके में गन्ने की खेती प्राथमि‌कता पर होती है। वैसे तो सरकार और प्राइवेट कंपनियों ने किसानों से गन्ना खरीद करने और चीनी बनाने के लिए चीनी मिल भी लगायी हुई हैं।

लेकिन गन्ना उत्पादन के अनुपात में चीनी मिले  किसानों का न तो गन्ना खरीद पाती हैं और न उनको समय पर गन्ने का भुगतान मिलता है। प्रत्येक गांव में  समृद्ध किसान क्रेशर लगाते हैं। जो अपने अन्य किसान भाईयों का उचित दाम पर गन्ना खरीदकर गुड़ तैयार करते  हैं। इससे छोटे  किसानों को अपने जरूरी कार्य जैसे खेती के लिए बीज खाद खरीदने, बच्चों की पढ़ाई खर्च और बच्चों की खादी खर्च उचित समय पर मिल जाता है। 

मुजफ्फरनगर और हापुड़ में है गुड़ की बड़ी मंडी, गुजरात समेत कई प्रदेशों में जाता है गुड़ 

अगर मेरठ और सहारनपुर मंडल में गुड़ मंडी की बात करें तो मुजफ्फरनगर और हापुड़ में बड़ी गुड़ मंडी है। यहां से गुजरात ही नहीं बल्कि दिल्ली, महाराष्ट्र समेत कई प्रदेशों को गुड़ भेजा जाता है। इस गुड़ को वहां की जनता मिठाई के रूप में पसंद करती है। 

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