हिमालय की गोद में सबसे लंबी रेलवे की सुरंगें: इंजीनियरिंग का चमत्कार

T 50

उधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल लिंक के रूप में साकार हो रहा है रेलवे का सपना

DSC08064

जम्मू-कश्मीर। हिमालय की ऊंचाइयों के बीच, जहां बादल जमीन को चूमते हैं और घाटियां रहस्य बयां करती हैं वहीं भारतीय रेलवे का सपना “उधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल लिंक के रूप में साकार हो रहा है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना की असली ताकत इसके भीतर बनी सुरंगों में छिपी है । जो न केवल भौगोलिक बाधाओं को पार करती हैं, बल्कि भविष्य की रफ्तार को भी दिशा देती हैं। यूएसबीआरएल की सुरंगें न केवल इंजीनियरिंग का नमूना हैं, बल्कि यह भी दर्शाती हैं कि भारत हर बाधा को पार कर सकता है। ये सुरंगें सिर्फ रास्ते नहीं हैं, यह भारत की दृढ़ इच्छाशक्ति और तकनीकी शक्ति की मिसाल हैं।

272 किमी रेल मार्ग में 36 बड़ीसुरंगे

– 272 किमी लंबे इस रेलमार्ग में 36 बड़ी सुरंगें हैं, जो लगभग 119 किलोमीटर की दूरी को कवर करती हैं। इनमें से कुछ सुरंगें इतनी लंबी और जटिल हैं कि वे इंजीनियरिंग के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित हो रही हैं।

टी-50 – भारत की सबसे लंबी 12.77 किमी ट्रांसपोर्ट सुरंग

– यह सुरंग कश्मीर घाटी को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने वाली एक अहम कड़ी है। इसकी खुदाई कठिन चट्टानों और भूस्खलन जैसी चुनौतियों से भरी थी, जिसे तीन ऐडिट्स की मदद से पूरा किया गया।

टी-80 – पीर पंजाल में 11.2 किमी कश्मीर की जीवनरेखा

DSC08046 2

जम्मू और कश्मीर के बीच हर मौसम में संपर्क बनाए रखने वाली यह सुरंग व्यापार और परिवहन को गति देती है।

टी-34 – 5.099 किमी लंबी दोहरी टनल का कमाल

यह सुरंग दो मार्गों – मुख्य सुरंग और एक सुरक्षा सुरंग – के साथ बनाई गई है, जो अंजी खड्ड पुल से भी जुड़ी है।

टी-33 – 3.2 किमी त्रिकुटा की छांव में संघर्ष

त्रिकुटा पर्वत के नीचे बनी इस सुरंग में भूगर्भीय जटिलताओं के कारण 2017 में निर्माण रुक गया था। लेकिन 2023 में सफलता हासिल हुई।

टी-23 – तकनीकी नवाचार का प्रतीक

T34

उधमपुर-चाकरखवाल सेक्शन की सबसे लंबी 3.15 किमी सुरंग है। जिसने ज़मीन के भीतर अत्यधिक दबाव और पानी जैसी समस्याओं का समाधान तकनीकी उपायों से किया।

टी-1 – आधुनिकतम तकनीक से निर्मित है

इस सुरंग में “आई-टनलिंग सिस्टम” की मदद से कठिन हालातों का सामना किया गया। यह आधुनिक तकनीक से निर्मित सुरंग 3.209 किमी लंबी है।

टी-25 – भूमिगत जलधारा से जंग (3 किमी)

2006 में खुदाई के दौरान मिली जलधारा ने इस सुरंग को सबसे चुनौतीपूर्ण बना दिया। बावजूद इसके, छह वर्षों के प्रयास से इसे पूर्ण किया गया।

ये भी जरूर पढ़ें–

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *