भारत और चीन के बीच बेहतर संबंध बनाने का है यह प्रयास
दिल्ली। पांच साल बाद एक बार फिर से भारत के लोगों को कैलाश मानसरोवर यात्रा करने का अवसर मिलेगा। 30 जून से धार्मिक यात्रा की शुरूआत की जाएगी। इसकी घोषणा भारत ने शनिवार को की। यात्रा को फिर से शुरू करने को भारत और चीन द्वारा संबंधों को बेहतर बनाने के प्रयासों के एक हिस्से के रूप में देखा जा रहा है। दोनों देशों ने पिछले साल अक्तूबर में समझौते के तहत डेमचोक और देपसांग के दो तनाव वाले बिंदुओं पर सैनिकों की वापसी पूरी कर ली थी।
यात्रियों के आवेदन के लिए खोली वेबसाइट
– कैलाश मानसरोवर यात्रा जून से अगस्त 2025 तक चलेगी। आवेदन स्वीकार करने के लिए http://kmy.gov.in वेबसाइट खोल दी गई है। आवेदकों में से यात्रियों का चयन निष्पक्ष, कंप्यूटर से तैयार, (रैंडम) और लिंग-संतुलित चयन प्रक्रिया के माध्यम से किया जाएगा। विदेश मंत्रालय के मुताबिक, इस साल पांच बैच, जिनमें से प्रत्येक में 50 यात्री होंगे, उत्तराखंड से लिपुलेख दर्रे को पार करते हुए यात्रा करेंगे। ऐसे ही 10 बैच, जिनमें से प्रत्येक में 50 यात्री होंगे, सिक्किम से नाथू ला दर्रे को पार करते हुए यात्रा करेंगे।
कैलाश मानसरोवर यात्रियों पर पड़ेगी महंगाई की मार
कैलाश मानसरोवर श्रद्धालुओं को इस बार महंगाई की मार झेलनी पड़ेगी। श्रद्धालुओं को कुमाऊं मंडल विकास निगम (केएमवीएन) को 35हजार के स्थान पर 56 हजार रुपये खर्च करने पड़ेंगे। केएमवीएन इस धनराशि से यात्रियों के आने-जाने, ठहरने और भोजन आदि का प्रबंध करेगा। मेडिकल जांच, चीन का वीजा, कुली, तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र और चीन सीमा में अलग से खर्च करना पड़ेगा। कुमाऊं मंडल विकास निगम लिपुलेख दर्रे के रास्ते कैलाश मानसरोवर यात्रा का प्रबंध करता है।
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