हाईवे फ्री-वे और एक्सप्रेस-वे तीनों टाइप के सड़क होते हैं। हाईवे और एक्सप्रेस-वे के बीच में फ़र्क होता है। हाईवे को अक्सर लंबी दूरी के लिए निर्मित किया जाता है जबकि एक्सप्रेस-वे कम दूरी के लिए निर्मित किए जाते हैं।
फ्री-वे को उस सड़क के लिए कहा जाता है जिसमें कोई टोल फीस नहीं होती है। हाईवे और एक्सप्रेस-वे पर वाहन चालकों को टोल फीस देनी होती है। फ्री-वे के अलावा, हाईवे और एक्सप्रेस-वे में अन्य अंतर भी होते हैं, जैसे कि सूखी तथा नम सड़कों का निर्माण, वाहनों के लिए स्थान आदि।
हाईवे को अक्सर लंबी दूरी के लिए निर्मित किया जाता है जिससे विभिन्न शहरों और राज्यों के बीच कनेक्टिविटी होती है। हाईवे पर वाहन चलाने के लिए विभिन्न नियम होते हैं जो लोगों को समझने और अपनाने की जरूरत होती है।
एक्सप्रेस-वे अक्सर हाईवे के समान दिखते हैं लेकिन उनमें अधिक सुविधाएं होती हैं। एक्सप्रेस-वे पर जल्दी जाने के लिए विशेष रूप से निर्मित किए जाते हैं जिससे वाहनों को एक निश्चित स्पीड में चलना होता है। इनमें ज्यादा लेन होते हैं, जिससे वाहनों को अलग-अलग लेन में चलने की सुविधा मिलती है। एक्सप्रेस-वे में विभिन्न जगहों पर ऑफ़ रैंप होते हैं, जिससे वाहनों को जल्दी से इंटरसेक्शन पर जाने की सुविधा मिलती है।
फ्री-वे अक्सर शहरों के आस-पास निर्मित किए जाते हैं ताकि लोगों को अपनी गाड़ियों से बिना टोल फीस दिए समय पर शहरों में जाने की सुविधा मिले। फ्री-वे में आमतौर पर कम सुविधाएं होती हैं
फ्री-वे में आमतौर पर सिर्फ 4 लेन होते हैं जिससे वाहनों को धीमी गति में चलना होता है। फ्री-वे पर वाहन चलाने के लिए नियम अक्सर हाईवे और एक्सप्रेस-वे के नियमों से भिन्न होते हैं। फ्री-वे पर स्पीड लिमिट अधिक होती है जिससे वाहनों को जल्दी से अपने गंतव्य पर पहुंचने की सुविधा मिलती है।
एक्सप्रेस-वे और हाईवे की तुलना में फ्री-वे पर अधिक ट्रैफिक होता है क्योंकि लोगों को टोल फीस देने की जगह फ्री-वे का चयन करना पसंद होता है। इसलिए, फ्री-वे पर अक्सर ज्यादा भीड़ होती है जिससे अक्सर ट्रैफिक जाम होता है।इन सभी विभिन्न प्रकार के रास्तों का उपयोग लोगों के वाहनों को उनके गंतव्य पर सुरक्षित और समय पर पहुंचने में मदद करता है।