Neem karoli baba

हनुमान जी के अवतार : Neem karoli baba का जीवन परिचय,कैंची धाम नैनीताल

भारत की पावन धरती पर कई महात्मा हुए हैं, जिन्होंने अपने ज्ञान और कृपा से लोगों का मार्गदर्शन किया है. ऐसे ही महान संतों में से एक थे नीम करोली बाबा (Neem Karoli Baba), जिन्हें उनके भक्त हनुमान जी का अवतार मानते हैं.

जन्म और प्रारंभिक जीवन

Neem Karoli Baba का जन्म लक्ष्मीनारायण शर्मा के रूप में 1900 में उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले में हुआ था. इनके पिता का नाम दुर्गा प्रसाद था. साधारण परिवार में पले-बढ़े लक्ष्मीनारायण बचपन से ही आध्यात्मिकता की ओर आकर्षित थे. 11 वर्ष की कम उम्र में ही उनका विवाह हो गया, लेकिन उनका मन संसारिक बंधनों में नहीं लगा.

विषयविवरण
जन्म1900, फर्रुखाबाद, उत्तर प्रदेश
वास्तविक नामलक्ष्मीनारायण शर्मा
उपाधिनीम करोली बाबा-(Neem Karoli Baba)
गुरुतेजगिरी महाराज
आश्रमकैंची धाम, नैनीताल, उत्तराखंड
प्रसिद्धिसरलता, दयालुता, चमत्कार, दिव्य ज्ञान
प्रसिद्ध भक्तनरेंद्र मोदी, विराट कोहली, अनुष्का शर्मा, स्टीव जॉब्स, मार्क जुकरबर्ग
संदेशप्रेम, भक्ति, आत्मसमर्पण, ईश्वर-भक्ति, कर्मयोग
प्रसिद्ध कथन“हनुमान लला सब जानते हैं, हम जानें न जानें”
महत्वआध्यात्मिक मार्गदर्शन, सरल जीवन का प्रतीक, दिव्य कृपा का प्रसार
मृत्यु11 सितंबर 1973

गुरु की तलाश और ज्ञान का मार्ग:

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Neem karoli baba

विवाह के बाद लक्ष्मीनारायण ज्ञान की तलाश में घर-बार छोड़कर निकल पड़े. उन्होंने कई तीर्थस्थलों की यात्रा की और कई संतों से मिले. अंत में, उन्हें महान गुरु तेजगिरी महाराज मिले, जिन्होंने उन्हें दीक्षा दी और Neem Karoli Baba नाम दिया. गुरु की कृपा से बाबा को दिव्य ज्ञान प्राप्त हुआ और उनके जीवन में कई अलौकिक घटनाएँ घटने लगीं.

नीम करोली बाबा की मृत्यु

बाबा की मृत्यु के कारण मधुमेह कोमा बताया जाता है। 11 सितंबर की रात, बाबा अचानक बीमार पड़ गए और उन्हें वृंदावन के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया। सुबह 1:15 बजे, बाबा ने अंतिम सांस ली।बाबा की मृत्यु के बाद, उनके भक्तों ने उन्हें कैंची धाम, नैनीताल, उत्तराखंड में एक समाधि में दफनाया। आज भी, कैंची धाम Neem karoli baba के भक्तों का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है।

Neem karoli baba
नीम करोली बाबा Samadhi Mandir, Vrindavan

बाबा की मृत्यु के बाद, उनके भक्तों ने उनकी शिक्षाओं को आगे बढ़ाने के लिए कई संगठनों की स्थापना की। इन संगठनों में से कुछ प्रमुख हैं:

  • Neem Karoli Baba Ashram, Kainchi, Nainital, Uttarakhand
  • Neem Karoli Baba Foundation, Rishikesh, Uttarakhand
  • Neem Karoli Baba International Society, San Francisco, California, United States

इन संगठनों के माध्यम से, बाबा की शिक्षाएं दुनिया भर के लोगों तक पहुंच रही हैं।

Neem Karoli Baba हनुमान जी के उपासक थे।

बाबा नीम करोली को उनके अनुयायी भक्त एवं श्रद्धालु हनुमान जी का अवतार मानते थे। लेकिन नीम करोली बाबा खुद भी हनुमान जी की पूजा करते थे और उन्होंने हनुमान जी के कई मंदिर भी बनवाएं। जब भक्त किसी भी योग्यता से उनके पास आता, तो बाबा उसे पैर छूने की अनुमति नहीं देते बल्कि कहते, “पैर छूना है तो हनुमान जी के पास जाओ”।

Neem Karoli Baba

नीम करोली बाबा अब जीवित नहीं हैं, परंतु उनके भक्त उन्हें सदैव मानते हैं और उनके अलौकिक रूप में उपस्थिति का अनुभव करते हैं। बाबा हमेशा अपने भक्तों के बीच दिव्यता और प्रेम से व्याप्त रहते हैं।

कैंची धाम और भक्तों की बहार

बाबा ने उत्तराखंड के नैनीताल के पास कैंची धाम नाम का आश्रम स्थापित किया. उनकी सरलता, दयालुता और अलौकिक शक्तियों के कारण भक्तों का प्रवाह उनके आश्रम की ओर बढ़ने लगा. भारत-विदेश से सभी धर्मों और वर्गों के लोग बाबा के दर्शन और आशीर्वाद पाने के लिए आते थे.

Neem karoli baba
Neem karoli baba-कैंची धाम

नीम करोली बाबा की सिद्धियां और चमत्कार

बाबा को कई चमत्कारों के लिए जाना जाता है. भक्तों का मानना है कि वे बीमारियों को ठीक कर सकते थे, भविष्य बता सकते थे, और लोगों की मन की बात जान लेते थे. उनकी हंसी और प्रसाद लोगों के जीवन में दुखों को दूर करने वाली मानी जाती थी.

विश्व प्रसिद्ध भक्त

बाबा के भक्तों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, क्रिकेटर विराट कोहली और अभिनेत्री अनुष्का शर्मा जैसे प्रसिद्ध नाम भी शामिल हैं. विदेशी हस्तियों में एप्पल के संस्थापक स्टीव जॉब्स और फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग भी बाबा के भक्त थे.

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नीम करोली बाबा का संदेश

बाबा का संदेश सरल था – प्रेम, भक्ति और आत्मसमर्पण. उन्होंने लोगों को सादा जीवन जीने, ईश्वर पर श्रद्धा रखने और कर्म करते रहने का उपदेश दिया. उनका मानना था कि भगवान हर किसी के साथ है, बस हमें उनकी कृपा पाने के लिए सही मार्ग पर चलना चाहिए.

अंतिम शब्दNeem Karoli Baba

नीम करोली बाबा आज भले ही जीवित नहीं हैं, लेकिन उनकी कृपा और उनके उपदेश आज भी उनके भक्तों के लिए मार्गदर्शक हैं. बाबा का जीवन हमें सरलता, दयालुता और आध्यात्मिकता का सन्देश देता है, जो आज के संसार में बहुत ही महत्वपूर्ण है.

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मेरठ, उत्तर प्रदेश के छोटे से गाँव पांची में जन्मे और पले-बढ़े रोहित सैनी पेशे से इंजीनियर हैं, लेकिन उनका असली जुनून लोगों तक जानकारी पहुँचाना है। वो मानते हैं कि सीखना तभी आसान और असरदार होता है जब जानकारी अपनी ही भाषा में मिले। इसी सोच के साथ उन्होंने यह खास प्लेटफॉर्म बनाया, जहाँ जटिल से जटिल विषयों को आसान और साफ़ भाषा में समझाया जाता है—वो भी हिंदी में, ताकि हर कोई बिना किसी रुकावट के सीख सके।

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