ये कैसा समझौता जब दिल ही नहीं मिले, अब पार्षद कर्मचारियों की कराएंगे परेड

ये कैसा समझौता जब दिल ही नहीं मिले, अब पार्षद कर्मचारियों की कराएंगे परेड

निगम के वाहन डिपो में गोली कांड के बाद से नहीं थम रहा है कर्मचारी और पार्षदों का विवाद

पार्षदों का मानना है कि आउट सोर्स सफाई कर्मचारी फर्जी तरीके से ले रहे हैं वेतन

मेरठ नगर निगम के कर्मचारी और पार्षदों के बीच उपजा विवाद अभी शांत नहीं हुआ है। पिछले सप्ताह पार्षद रविन्द्र ने सूरजकुंड वाहन डिपो पहुंचकर कर्मचारियों पर गोली चला दी थी। उधर कर्मचारियों ने भी पार्षद को खूब धुना था। कर्मचारियों की रिपोर्ट पर पार्षद सहित तीन लोगों को जेल भेज दिया गया। उसके बाद भाजपा के ऊर्जा राज्य मंत्री डॉ. सोमेन्द्र तोमर, महापौर हरिकांत अहलुवालिया समेत कई बड़े नेताओं ने मामले को शांत करने के ​महापौर कार्यालय पर दोनों पक्षों की बैठक बुलायी और फैसला होने का एलान कर दिया। अभी पार्षद संतुष्ट नहीं हैं। अब पार्षदों ने सफाई कर्मचारियों की उप​स्थिति पर सवाल खड़े करते हुए बोर्ड बैठक के बहिष्कार की चेतावनी दे डाली है।

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नगर निगम के सफाई कर्मचारी और पार्षदों में आए दिन विवाद हैं। कई बार बोर्ड की बैठकों में सफाई कर्मचारियों की उप​स्थित को लेकर वाद विवाद हो चुका है, वहीं अब फिर से पार्षदों ने सफाई कर्मचारियों की परेड कराने की मांग कर दी है। मंगलवार को पार्षद संजय सैनी, गफ्फार समेत काफी पार्षद नगरायुक्त से मिलने पहुंचे। उन्होंने सफाई कर्मचारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए। उधर कर्मचारी नेताओं की भौंए भी तन गई हैं। सफाई कर्मचारियों का स्पष्ट कहना है कि सफाई कर्मचारी नौकरी निगम के अ​धिकारियों के निर्देश में करते हैं, इसलिए पार्षदों को कर्मचारियों की परेड कराने या हाजिरी लेने का कोई अ​धिकार नहीं है।

संगठन ने भाजपा पार्षदों की बुलाई है बैठक

पार्षद और कर्मचारियों की बीच मामला बढ़ता देख भाजपा नेताओं ने बुधवार को भाजपा पार्षदों की बैठक बुलायी है। भाजपा नेता अपने पार्षदों को कुछ समझाने का प्रयास करेंगे। अब देखना है कि भाजपा पार्षद अपने नेताओं की कितनी बात मानते हैं। या फिर बोर्ड बैठक का बहिष्कार ही रखेंगे।

अब से पहले भी उठी ये मांग, पार्षदों रहे बैकफुट पर

– सफाई कर्मचारियों की बायोमेट्रिक हाजिरी रही हो या फिर आईकार्ड के साथ काम पहुंचने की मांग कोई पहली बार नहीं हो रही है। अब से पहले भी पार्षद ऐसी मांग कर चुके हैं। जिसको लेकर अब से पहले भी हंगामे हुए। बायोमेट्रिक मशीनें तक तोड़ दी गई थी। जिसमें निगम को लाखों रुपये का नुकसान भी हुआ था। कर्मचारी सफाई की हड़ताल पर चले गए थे। उस समय भी निगम अ​धिकारी व पार्षदों को सफाई कर्मचारियों के सामने झुकना पड़ा था।

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